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ग्रीन एरिया के लिए रिजर्व जमीन पर नहीं बनेगा मकान, झांसी के मामले पर NGT का सख्त फैसला

दिल्ली : () ने कहा कि हरित पट्टी के लिए आरक्षित भूमि, चाहे वो सरकारी हो या निजी, उसका इस्तेमाल किसी भी निर्माण कार्य के लिए नहीं करने दिया...

दिल्ली : () ने कहा कि हरित पट्टी के लिए आरक्षित भूमि, चाहे वो सरकारी हो या निजी, उसका इस्तेमाल किसी भी निर्माण कार्य के लिए नहीं करने दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. नगिन नंदा की पीठ ने कहा कि जल निकायों की देखरेख वैधानिक प्राधिकारियों (Statutory Authorities) की मुख्य जिम्मेदारी है। ये टिप्पणियां उत्तर प्रदेश में झांसी के मास्टर प्लान 2021 में 'हरित पट्टी/हरित पार्क' के तौर पर घोषित लक्ष्मी ताल और नजदीकी इलाके के संरक्षण में वैधानिक प्राधिकारियों द्वारा कार्रवाई न किए जाने की शिकायत करने वाली याचिका पर सुनवाई की दौरान की। उसने कहा कि ऐसे स्थानों को रिहायशी या वाणिज्यिक इलाकों में नहीं बदला जा सकता है। पीठ ने कहा, 'भूमि के कानून में उपरोक्त बात के उल्लेख और ऐसे ही विचार व्यक्त करने वाले अधिकरण के आदेश के बावजूद हमारा मानना है कि संबंधित प्राधिकारियों का रुख बहुत ही लापरवाह और उदासीन है। हमें ईमानदार, प्रतिबद्ध इरादे का कोई तत्व नहीं मिला और साथ ही मास्टर प्लान में पार्क के लिए हरित पट्टी/आरक्षित भूमि के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने की इच्छा नहीं दिखी।' एनजीटी ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश, वन एवं पर्यावरण विभाग और झांसी के मंडल आयुक्त के अधिकारियों की एक समिति गठित की। समिति दो महीनों के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजने और संबंधित रिकॉर्डों की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण करेगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और झांसी के मंडल आयुक्त समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होंगे।


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