नई दिल्लीः विधानसभा चुनाव में उतरे सियासी दलों की हालत जिस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, वह आ गया। एग्जिट पोल से जगी उम्मीद और निरा...

नई दिल्लीः विधानसभा चुनाव में उतरे सियासी दलों की हालत जिस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, वह आ गया। एग्जिट पोल से जगी उम्मीद और निराशा दोनों का पटाक्षेप गुरुवार को होगा। गुरुवार को होने वाली मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि सियासी दलों ने आसमान पाया या जमीन खोई। मतगणना के बाद प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर के मायने, संभावनाएं और आशंकाओं पर एक रिपोर्ट: भाजपा के सामने मिथक तोड़ने की चुनौती1985 से यूपी की सियासत में एक मिथक है कि एक बार जो दल सत्ता में आता है, वह दोबारा अपनी सरकार की ताजपोशी नहीं करा पाता है। गुरुवार को आने वाले नतीजों पर भाजपा और सीएम योगी दोनों के सामने इस प्रचलित धारणा को बदलने की चुनौती है। नतीजे भाजपा के पक्ष में आए तो यह मिथक टूट जाएगा। अगर भाजपा दोबारा सत्ता में नहीं आती है तो उसकी आगे की राह मुश्किल तो होगी ही, विपक्ष को भी और आक्रामक होकर उसे घेरेने का और मौका मिल जाएगा। ब्रैंड योगी पर बढ़ेगा विश्वास 2017 में भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ 325 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। चौदह साल बाद भाजपा और सहयोगी दलों ने 40 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर हासिल कर सरकार बनाने में सफलता हासिल की थी। भाजपा ने गोरखपुर के सांसद रहे योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया और अपने कार्यकाल में उन्होंने कई मिथक तोड़े। यूपी की राजनीति में 1988 से एक यह भी मिथक प्रचलित था कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, वह दोबारा सत्ता में नहीं आ पाता। वीर बहादुर सिंह, एनबडी तिवारी और फिर कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ कुछ ऐसा घटित हुआ था कि वह नोएडा गए और दोबारा उनकी ताजपोशी नहीं हो सकी। सीएम योगी ने इसे अंधविश्वास बताया और कई बार नोएडा भी गए। अब परिणाम यह बताएंगे कि अंधविश्वास को तोड़ने में वह कितना सफल हुए। 2022 में भी भाजपा ने मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ को पेश करके चुनाव लड़ा। उन्होंने माफियाओं पर बुलडोजर से एक्शन और सुरक्षा को हर जगह मुद्दा बनाया। नतीजे पक्ष में आए तो ब्रांड योगी पर भाजपा और जनता दोनों का विश्वास बढ़ जाएगा। आसान हो जाएगी 2024 की राह भाजपा अगर सरकार बनाने में सफल हुई तो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उसकी राह आसान हो जाएगी। इससे भाजपा सरकार के कार्यकर्ताओं का उत्साह और दोगुना होगा। साथ ही केंद्रीय और राज्य की योजनाओं को यूपी में और बेहतर ढंग से लागू करने कर खुद को भविष्य के लिए साबित करने का मौका मिलेगा। यही नहीं भाजपा ने जिन महत्वाकांक्षी योजनाओं को आधार बनाकर वोटरों का एक नया वर्ग बनाया है, उसके लिए कुछ और बेहतर योजनाएं लाने का अवसर मिलेगा। यह लोकसभा चुनाव में पार्टी का दावा और मजबूत करेगा। इसका असर दूसरे राज्यों में भी होगा और जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां यूपी को उदाहरण बनाकर पेश करने का मौका मिलेगा। सफल नहीं हुई भाजपा तो उठेंगे सवाल भाजपा अगर सत्ता में वापस आने में सफल नहीं हुई तो पूरे देश में यूपी को लेकर सवाल खड़े होंगे। विपक्ष और आक्रामक होकर हमले करेगा और पूरे देश में यूपी को उदाहरण बनाकर पेश किया जाएगा। यह संकट आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी भाजपा के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी करेगा।
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