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Nitish Kumar : बिहार के शराबबंदी कानून में बदलाव की पीछे की कहानी समझिए, इस वजह से नीतीश सरकार ने दी राहत

पटना : नीतीश सरकार ने दूसरी बार शराबबंदी कानून () में संशोधन किया है। मंगलवार को इसे कैबिनेट () से मंजूरी मिली। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह स...

पटना : नीतीश सरकार ने दूसरी बार शराबबंदी कानून () में संशोधन किया है। मंगलवार को इसे कैबिनेट () से मंजूरी मिली। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सुप्रीम कोर्ट () है। दरअसल, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पहले ही हलफनामा दायर कर दिया था कि वो शराबबंदी कानून में बदलाव (Change In Prohibition Law) करने जा रही है। कोर्ट पर बढ़ रहे मुकदमों की बोझ को लेकर सरकार ने ये तर्क दिया था। जिस दिन बिहार कैबिनेट ने संशोधन को पास किया, उसी दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। अदालतों में बढ़ रहे केसों की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी। सुप्रीम कोर्ट की डर से कानून में बदलाव? सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार की ओर से अधिवक्ता रंजीत कुमार ने जवाब दाखिल किया। इसमें कहा गया कि जिन मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई थी, उनके निराकरण के लिए शराबबंदी कानून में संशोधन किया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि 'सीनियर अधिवक्ता रंजीत कुमार ने बिहार सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि कानून को और प्रभावी बनाने के लिए और इसके दुष्परिणामों से निपटने के लिए शराबबंदी कानून में संशोधन किया जा रहा है।' सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि 'हम जानना चाहेंगे कि शराबबंदी कानून लागू करने से पहले कौन सा विधायी अध्ययन किया गया था।' इसके बाद मामले को अगली तारीख तक के लिए टाल दिया। इसके बाद बिहार कैबिनेट की बैठक में शराबबंदी कानून में संशोधन का प्रस्ताव पारित हुआ, अब इसे विधानमंडल में पेश कर पारित कराया जाएगा। बिहार शराबबंदी कानून में ये संशोधन बिहार सरकार ने ये प्रावधान किया है कि पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर कोर्ट में पेश करने की जरूरत नहीं होगी। एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, डेप्युटी कलेक्टर या इससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों के सामने पेश किया जाएगा। पहली बार शराब पीते पकड़े गए व्यक्ति को यही अफसर बेल दे देंगे। जबकि, पहली बार प्राइवेट छोटी गाडियों में अगर कम मात्रा में शराब मिलेगी तो उसे जब्त नहीं किया जाएगा। जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाएगा। वहीं, शराब की बिक्री को संगठित अपराध की सूची में डाल दिया गया है। जो शराब बेचेंगे उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। एएसआई रैंक का अधिकारी भी शराब बरामद होने वाली जगह को सील कर सकेगा। मुकदमों की बोझ बढ़ने से कोर्ट नाराज माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में होनेवाली फजीहत की डर से बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में बदलाव किया है। इससे पहले भी शराबबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीखे सवाल पूछे थे। मुकदमों में बेतहाशा इजाफा होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि उसने ये कानून लागू करने से पहले क्या ये देखा था कि इतने मुकदमों का बोझ झेलने के लिए अदालती ढांचा तैयार है या नहीं? अगर सरकार ने इस तरह का कोई अध्ययन किया था तो शराबबंदी के मामलों की सुनवाई के लिए कोर्ट और जजों की संख्या बढ़ाने को लेकर कौन से कदम उठाए गए? दरअसल बिहार के शराबबंदी कानून को लेकर सुधीर कुमार यादव उर्फ सुधीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच कर रही है।


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