घाटकुसुम्भाप्रखंड के प्याज उत्पादक किसान इस बार कुछ अलग ही मुसीबत का सामना कर रहे है। इस बार साल के शुरुआत में हुई बारिश से खेतों में बीज ह...

घाटकुसुम्भाप्रखंड के प्याज उत्पादक किसान इस बार कुछ अलग ही मुसीबत का सामना कर रहे है। इस बार साल के शुरुआत में हुई बारिश से खेतों में बीज हेतु लगाए गए पौधे खराब हो गए। जिससे प्याज की बीजों के उत्पादन में भारी कमी हुई। सीजन की शुरुआत में बीज की कमी झेल रहे किसान पटना से लेकर कोलकाता तक गए। जहां से किसानों ने सुखसागर वैरायटी के प्याज के बीज काफी ऊंची कीमत पर खरीदकर अपने खेतों में बोया।
परंतु अब बहुत से किसान अपने आप तो ठगा महसूस कर रहे है क्योंकि उनके बीज खेतों में जन्मे ही नहीं। इस बाबत किसान अजय केवट, अरुण महतो, रामनरेश यादव आदि ने बताया कि किसानों द्वारा कोलकाता से बीज लेकर घरों में ही बीजों का अंकुरण चेक किया। जिसका अंकुरण 70% तक रहा। किन्तु जब खेतों में जब प्याज के बीज बोए गए तो बीजों का अंकुरण ही नहीं हो पाया। जिससे पता चलता है कि किसानों को पुराने बीज या निम्न ग्रेड के बीज महंगे दामों पर दे दिए गए जिससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।
किसान को हुई परेशानी : अंकुरण न होने से किसानों की जमा पूंजी भी चली गयी। जिससे किसान चिंतित दिखाई पड़ रहे है। वही दूसरी तरफ बहुतों किसान के प्याज की नर्सरी में नमी अधिक होने से घास उग आए है। जिसके नियंत्रण हेतु किसान रासायनिक पद्धति अपना रहे है तो कही मजदूरों द्वारा घास को निकाला जा रहा है। जिससे प्याज उत्पादन में लागत बढ़ रही है।
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