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फर्जी कॉल सेंटर से इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर करोड़ों की ठगी, नोएडा में यूं चल रहा था बड़ा खेल!

नोएडा लोग इंश्योरेंस पॉलिसी इसलिए करवाते हैं, ताकि मुश्किल दौर में उनकी थोड़ी मदद हो सके। हालांकि ठगों के चलते ये पॉलिसी ही लोगों के लिए ...

नोएडा लोग इंश्योरेंस पॉलिसी इसलिए करवाते हैं, ताकि मुश्किल दौर में उनकी थोड़ी मदद हो सके। हालांकि ठगों के चलते ये पॉलिसी ही लोगों के लिए मुश्किल का कारण बन रही हैं। शुक्रवार को यूपी में नोएडा के थाना फेज-3 पुलिस ने ऐसे ही फर्जी कॉल सेंटर चलाकर इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने और लेप्स पॉलिसी को रिन्यू तथा प्री-मैच्योर कर भारी धनराशि देने के नाम पर ठगी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। कंपनी का संचालक और मास्टरमाइंड सिद्धार्थ अभी पुलिस पहुंच से दूर है। ठग अब तक कई करोड़ की ठगी कर चुके हैं। ये लोग ठगी कितने बड़े स्तर पर करते थे इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि उन्होंने कॉल सेंटर में बाकायदा 28 से 30 कर्मचारी भी फोन करने के लिए रखे हुए थे। बरामद हुए ये सामान इन दोनों ठगों को जब पकड़ा गया तो ये कर्मचारी भी मौके पर मौजूद थे, लेकिन ये सभी ठगी से अनजान थे। इन 2 आरोपियों के पास से 9 सीपीयू, 25 मोबाइल, 11 बेस फोन (सिम वाले), 11 सिम कार्ड, एक मोहर और दर्जनों डायरी, नोटपैड और रजिस्टर सहित पॉलिसी से संबंधित अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। हापुड़ और गाजियाबाद के रहने वाले हैं आरोपी आरोपियों की पहचान हापुड़ निवासी शुभम राणा और गाजियाबाद निवासी सत्यम के रूप में हुई है। आरोपी पीएनबी मेट लाइफ इंश्योरेंस के नाम से सेक्टर 63 स्थितएच-150 की पहली मंजिल पर निमबज सॉल्यूशन फर्जी कॉल सेंटर खोलकर पीएनबी कम्पनी के नाम से धोखाधड़ी कर रहे थे। पुलिस बैंक से खातों की डिटेल निकलवा रही है। मुख्य आरोपी सिद्धार्थ की तलाश के लिए दो टीमें गठित कर कर दी गई हैं। एक टीम डीसीपी ने जबकि दूसरी टीम थाना स्तर से बनाई गई है। बैंक से निकलवाते थे डेटापूछताछ में सामने आया कि आरोपी पॉलिसी धारकों का डेटा संबंधित बैंक से निकलवा लेते थे। इस डेटा में देखते थे कि किस पॉलिसी की वैधता खत्म होने वाली है, कौन सी पॉलिसी की किस्त बकाया है और कौन सी पॉलिसी सस्पेंड हो चुकी है। इसके बाद आरोपी पॉलिसी धारकों को फोन करते तथा इंश्योरेंस पॉलिसी रिन्यूअल कराने व उस पर कैशबैक दिलाने या जिन पॉलिसी की किस्त बकाया रहती थी उनको दोबारा से चालू करवाने के लिए अपने फर्जी बैंक खातों में उनसे पैसे डलवा लेते। पैसा आने के बाद वह एटीएम से सारे पैसे निकलवा लेते थे। ऐसे लेते थे ग्राहकों को झांसे मेंआरोपी फोन करके ग्राहकों को उनका आधार कार्ड, पेन कार्ड और एकाउंट नंबर बताकर विश्वास में लेते थे। आरोपी ग्राहक को बताते थे कि वह संबंधित बैंक के हेड ऑफिस से बोल रहे हैं। इसके बाद आरोपी किसी भी प्रकार की पॉलिसी को रिन्यूअल और मैच्योर कराने का झांसा देते थे। दोगुनी रकम दिलाने के एवज में आरोपी पॉलिसी की निर्धारित रकम और लेट पेमेंट की मांग ग्राहकों से करते थे। ग्राहक 120 दिन के भीतर दोगुनी रकम पाने के चक्कर में ठगों को पैसा भेज देते थे। सिनियर मैनेजर की शिकायत पर कार्रवाईपुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी छत्रपाल उर्फ सिद्धार्थ अपने साथियों शुभम राणा और सत्यम के साथ मिलकर एच-150 सेक्टर-63 नोएडा के प्रथम तल पर एक फर्जी कॉल सेन्टर चलाकर पीएनबी मेटलाइफ, केनरा एचसीबीसी ओबीसी लाइफ इंश्योरेंस और एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस से टाई-अप बताकर संबंधित बैंक की इंश्योरेंस पॉलिसी ग्राहकों को बेच रहे थे साथ ही लैप्स हुई पॉलिसी रिन्यू करने के नाम पर और पॉलिसी मैच्योरिटी के नाम पर भारी धनराशि देने का लालच देकर धोखाधड़ी कर ग्राहकों के पैसे हड़प रहे थे। पुलिस ने पीएनबी मेट लाइफ इंश्योरेंस के सीनियर मैनेजर फ्रॉड कंट्रोल वेद कुमार की शिकायत पर कार्रवाई की है। कर्मचारियों को देते थे 15 दिन का प्रशिक्षणपुलिस ने बताया कि फर्जी कंपनी में 28 से 30 लड़के और लड़कियां काम करते थे। कर्मचारियों की भर्ती साक्षात्कार के बाद होती थी। साक्षात्कार पास करने वाले कर्मचारियों को 15 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता था और इन्हें ग्राहकों से फोन पर कैसी और क्या बात करनी है, यह बताया जाता था। ज्यादातर कर्मचारी स्थानीय होते थे और उन्हें आठ से 18 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते थे। कर्मचारियों से भी पुलिस पूछताछ करेगी। ट्रूकॉलर से देते थे चकमाफर्जी कंपनी में जितने भी नंबर प्रयोग किए जाते थे, सभी ट्रूकॉलर पर संबंधित बैंक का नाम ही शो करते थे। ठग जिस खाते में ग्राहकों से पैसा डलवाते थे वह भी संबंधित बैंक के नाम से ही रजिस्टर होता था। ऐसे बचें ठगी सेसाइबर एक्सपर्ट का कहना है जब भी किसी बैंक की पॉलिसी को लेकर कोई कॉल आए तो संबंधित बैंक की शाखा के मैनेजर से संपर्क करें। बैंक अधिकारियों द्वारा पुष्टि होने के बाद ही किसी एकाउंट में पैसा ट्रांसफर करें।


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