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भाजपा नए सिरे से बंगाल के लोगों के दिल में जगह बनाने के लिए नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गई है।

  पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद भाजपा राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने से पीछे हटती नहीं दिखाई दे रही है। पार्ट...

 





पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद भाजपा राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने से पीछे हटती नहीं दिखाई दे रही है। पार्टी ने राज्य के मतदाताओं के मन में जगह बनाने के लिए फिर से नए सिरे कवायद करना शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत एक बार फिर गृहमंत्री अमित शाह करने जा रहे हैं। अप्रैल में की गई चुनावी रैलियों के बाद अब शाह सितंबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते में पश्चिम बंगाल का रुख करने जा रहे हैं।



 भाजपा नए सिरे से बंगाल के लोगों के दिल में जगह बनाने के लिए नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गई है। ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी पर लग रहे आरोपों को लेकर पार्टी फिर से राज्य के लोगों के बीच जाने की तैयारी में लगी हुई है। विधानसभा चुनावों में हुई हार और हिंसा के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल भी कमजोर हो गया है। इसी बीच कई कार्यकर्ता और विधायक भी भाजपा छोड़ने का मन बना चुके हैं। इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए शाह फिर से मोर्चा संभालने जा रहे हैं। गृहमंत्री शाह अपने इस दौरे के दौरान उत्तर बंगाल के साथ-साथ जिन इलाकों में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा वहां भी बड़ी बैठक सकते हैं। इसके अलावा असंतुष्ट विधायक और कार्यकर्ताओं से भी अलग से बैठक कर सकते हैं।



हाल ही में प्रदेश भाजपा के कई नेता पश्चिम बंगाल के विभाजन की मांग उठा चुके है। राज्य से पार्टी के सांसद जॉन बरला और केंद्र सरकार में बंगाल कोटे से मंत्री निशित प्रमाणिक भी विभाजन की मांग पुरजोर तरीके से उठा चुके हैं। इसके बाद भाजपा के नेता सौमित्र खान ने भी राज्य के विभाजन को लेकर की बात दोहरा चुके हैं। ऐसे में गृह मंत्री शाह के उत्तरी बंगाल जाने की खबर से राज्य में एक बार फिर राजनीति गर्म होने की संभावना जताई जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी उत्तर बंगाल में अलग सूबे की मांग का समर्थन किया था।


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