रवि सिन्हा, रांची झारखंड में रोजगार देने के लिए औद्योगिक इकाई की स्थापना के नाम पर कई बार जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाता है। हालांकि, जमीन...

रवि सिन्हा, रांची झारखंड में रोजगार देने के लिए औद्योगिक इकाई की स्थापना के नाम पर कई बार जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाता है। हालांकि, जमीन पर कब्जा करने के बावजूद संबंधित कंपनी की ओर से काम नहीं शुरू करने की शिकायत मिलती है। जमशेदपुर के एक ऐसे ही मामले में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा-49 (5) के तहत पीठासीन पदाधिकारी बने मंत्री चम्पई सोरेन की कोर्ट ने जमीन के अधिग्रहण के बाद भी उसका इस्तेमाल नहीं करने पर सख्त रवैया अपनाया है। मंत्री की अदालत ने अपने आदेश में अधिगृहित भूमि को रैयत को वापस लौटाने का आदेश दिया है। मंत्री ने कहा कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा-49 (5) के तहत ऐसा किया गया है। इसमें पूर्वी सिंहभूम जिले के मेसर्स भालोटिया इंजीनियरिंग वर्क्स लिमिटेड, मेन रोड बिष्टुपुर, जमशेदपुर को अधिग्रहित भूमि पर कम्पनी की ओर से किए गए करार के अनुसार कार्य नहीं किया गया है। इस कारण रैयत से ली गई जमीन को न्यायालय की ओर से रैयत बिजॉय सिंह, खूंटाडीह, थाना सोनारी, जिला पूर्वी सिंहभूम को कुल 5.63 एकड़ के वापसी का आदेश पारित किया है। इसी अदालत ने हजारीबाग जिले के बड़कागांव क्षेत्र में भी एक ऐसे ही मामले में जमीन अधिग्रहण के बावजूद काम नहीं शुरू करने और रोजगार नहीं देने पर रैयतों को वापस करने का आदेश दिया था।
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