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नियम ताक पर रख बदले नक्शे, बढ़ती गई टावर की ऊंचाई... जानें सुपरटेक और नोएडा अथॉरिटी का काला खेल

नोएडा देश की सबसे बड़ी अदालत ने मंगलवार को नोएडा अथॉरिटी के लिए सबसे बड़ा फैसला सुनाया। फैसला यह है कि सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट सोसायटी के न...

नोएडा देश की सबसे बड़ी अदालत ने मंगलवार को नोएडा अथॉरिटी के लिए सबसे बड़ा फैसला सुनाया। फैसला यह है कि सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट सोसायटी के निर्माणाधीन 40 मंजिल के दो टावर टूटेंगे। कोर्ट ने इस निर्माण को अवैध करार दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि नोएडा अथॉरिटी की सुपरटेक के साथ मिलीभगत थी। कोर्ट के इस आदेश और टिप्पणी के बाद नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन अधिकारियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। साथ ही, बिल्डर्स के लिए किस तरह से अथॉरिटी में नियम-कानून ताक पर रखे गए यह भी सामने आ गया है। सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट 2004 के बाद सेक्टर-93 ए में शुरू हुआ था। इसमें भूतल और 9 मंजिल वाले 14 टावर थे। इसके बाद अथॉरिटी में संशोधन शुरू हुआ तो टावरों की ऊंचाई और संख्या बढ़ती गई। टावर बढ़कर 17 हो गए। आखिर में टावर नंबर नंबर-16 और 17 को 2012 में भूतल और 40 मंजिल बढ़ाने की मंजूरी दे दी गई। इनके नाम ऐपेक्स और सियान रखे गए थे। इनके निर्माण के खिलाफ आरडब्ल्यूए ने कानूनी लड़ाई लड़ी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इन दो टावरों को अवैध करार देते हुए तोड़ने का आदेश दिया है। नक्शे में बदलाव को नहीं ली गई मंजूरी एमरॉल्ड कोर्ट में टावर नंबर 1 से 15 में बिल्डर ने 2008 में कब्जा देना शुरू किया। यहां रहने आने वाले फ्लैट खरीदारों ने अपनी रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन बनाई। यह 2009 में अस्तित्व में आ गई थी। इसके बाद भी प्रॉजेक्ट के नक्शे में संशोधन हुए। नियम यह है कि इस संशोधन पर यहां रहना शुरू कर चुके फ्लैट बायर्स की मंजूरी ली जानी चाहिए थी, लेकिन नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन अधिकारियों ने इस नियम की परवाह नहीं की। साथ ही नैशनल बिल्डिंग कोड का नियम यह है कि किसी भी दो आवासीय टावर के बीच कम से कम 16 मीटर की दूरी होनी जरूरी है, लेकिन प्रॉजेक्ट में टावर नंबर 16, 17 की मंजूरी देने पर टावर नंबर-15, 16 और 1 के बीच मौके पर 9 मीटर से भी कम दूरी बची। कोर्ट ने एनबीसी से इसके लिए निरीक्षण करवाकर रिपोर्ट भी ली थी। कानूनी लड़ाई में अहम किरदार निभाने वाले आरडब्ल्यूए के पूर्व अध्यक्ष उदय भान सिंह तेवतिया बताते हैं कि जहां पर टावर नंबर-16 और 17 का निर्माण हुआ जब उन लोगों को बिल्डर ने फ्लैट दिया था तब यहां ओपन स्पेस दिखाया था। अथॉरिटी आखिर तक सबकुछ सही ठहराती रही बिल्डर की इस मनमानी पर 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमरॉल्ड कोर्ट के एपेक्स और सियान टावर को तोड़ने का आदेश दिया था। इसके बाद बिल्डर और कुछ खरीदार सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पिछले दिनों नोएडा अथॉरिटी इन दोनों टावर के निर्माण को सही ठहराती रही। अथॉरिटी की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि मौके पर जो निर्माण हुआ है नियम के मुताबिक है। किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं है। ऐसे समझें प्रॉजेक्ट और तारीखों में हुए बदलाव को 23 नवंबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93 ए में ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर-4 जिसका क्षेत्रफल 48 हजार 263 वर्ग मीटर था एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर आवंटित किया। ओरिजनल प्लान के मुताबिक जून 2005 में आवंटित ग्रुप हाउसिंग के प्लॉट पर नोएडा अथॉरिटी ने 14 टावर का नक्शा पास किया। नक्शे में सभी टावर भूतल और 9 मंजिल के पास किए गए। 21 जून 2006 को एक सप्लीमेंट्री लीज डीड की गई। इसमें इस प्लॉट को 6556.1 वर्ग मीटर और जमीन दी गई। इस तरह से प्लॉट 54 हजार 819 वर्ग मीटर का हो गया। अतिरिक्त जमीन पर कब्जे का सर्टिफिकेट 23 जून 2006 को नोएडा अथॉरिटी ने जारी किया। 5 दिसंबर 2006 को नोएडा अथॉरिटी ने एरिया में 2006 के बाद के आवंटियों के लिए एफएआर 1.5 से 2 करने का फैसला लिया। पहला संशोधित प्लान- 29 दिसंबर 2006 नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक एमरॉल्ड प्रॉजेक्ट के नक्शे में पहला संशोधन कर दो और अतिरिक्त मंजिल निर्माण का नक्शा पास किया। इस तरह से 14 टावर का ग्राउंड प्लस 9 मंजिल बिल्डिंग का नक्शा ग्राउंड प्लस 11 मंजिल का हो गया। इसके साथ ही टावर नंबर 15 का नक्शा पास किया इसमें भूतल और 11 मंजिल बनाने का नक्शा था। टावर नंबर 16 का नक्शा नोएडा अथॉरिटी से जारी हुआ। एक शॉपिंग कॉम्पलेक्स का नक्शा भूतल के साथ एक और मंजिल का जारी हुआ। इस तरह से नोएडा अथॉरिटी ने कुल 16 टावर भूतल और 11 मंजिल का जारी किया। इनमें प्रत्येक टावर की ऊंचाई 37 मीटर तय की गई। दूसरा संशोधित प्लान- 26 नवंबर 2009 टावर नंबर-17 का नक्शा दिया गया। इसके साथ ही टावर नंबर-16 और 17 पर भूतल और 24 मंजिल निर्माण का नक्शा पास किया गया। बताया गया कि इनकी ऊंचाई 73 मीटर होगी। तीसरा संशोधित प्लान- 2 मार्च 2012 टावर नंबर-16 और 17 के लिए एफएआर और बढ़ाया गया। नोएडा अथॉरिटी से यह मंजूरी दी गई कि यह दोनों टावर भूतल और 40 मंजिल के होंगे। इनकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।


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