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राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी: UP में 120 सीटों और जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश?

अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिमी यूपी की जाट पॉलिटिक्स भी गरमा गई है। राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिट...

अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिमी यूपी की जाट पॉलिटिक्स भी गरमा गई है। राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी को जाट वोट बैंक से जोड़कर देखा जा रहा है। किसान आंदोलन के बीच जाट बेल्ट में मुस्लिम-जाट समीकरण फिर से गेम बदल सकता है। वहीं राजा महेंद्र प्रताप सिंह को लेकर अखिलेश यादव भी बेचैन नजर आ रहे हैं। क्या वेस्ट यूपी में पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ ने राजा महेंद्र प्रताप के बहाने ट्रंप कार्ड खेला है। आइए समझते हैं। यूनिवर्सिटी के लिए शिक्षा विभाग से 101 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। 92 एकड़ जमीन पर इसका निर्माण होगा। इसे जाट राजा महेंद्र प्रताप के नाम से जाना जाएगा। कौन थे राजा महेंद्र प्रताप सिंह राजा महेंद्र प्रताप सिंह 1915 में काबुल में स्थापित भारत की पहली प्रोविजनल सरकार के राष्ट्रपति भी थे। उस सरकार का गठन विभिन्न अफगान कबीलों के प्रमुखों तथा जापान समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मदद से किया गया था। आजादी के बाद भारत लौटने पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। 120 सीटों पर पड़ेगा राजा महेंद्र प्रताप सिंह का प्रभाव सियासी जानकार इसे जाटों को साधने के लिए बीजेपी के सियासी दांव के रूप में देख रहे हैं। माना जा रहा है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर बनने वाली इस यूनिवर्सिटी का असर यूपी विधानसभा चुनाव में लगभग 120 सीटों पर पड़ेगा। इन सीटों पर जाट वोट बैंक का प्रभाव है। उन्हें साधने के लिए ही बीजेपी राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर यूनिवर्सिटी खोल रही है। इसके अलावा इस पहल से वेस्ट यूपी की 18 सीटों पर सीधा असर पड़ेगा। वेस्ट यूपी में गिरा बीजेपी की लोकप्रियता का ग्राफ तीन कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर वेस्ट यूपी में बीजेपी का ग्राफ नीचे माना जा रहा है। वेस्ट यूपी के गांवों में कई जगह बीजेपी नेताओं का विरोध होने और पंचायत चुनाव में कम समर्थन मिलने से बीजेपी संगठन में बेचैनी हैं। 3 चुनाव में मिला साथ, पंचायत चुनाव में पिछड़ी बीजेपी 2013 में मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद जाटों का बड़ा साथ बीजेपी को मिला था। जो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के अलावा 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बरकरार रहा। अब किसान आंदोलन से नाराजगी देखी गई। इसका सीधा असर पंचायत चुनाव में देखने को मिला। जिला पंचायत सदस्य से लेकर बाकी पदों पर बीजेपी को उम्मीद से भी कम जीत मिल सकी। 136 सीटों में से 102 पर जीती थी बीजेपी यूपी में कहा जाता है कि भले ही सूरज पूरब से उगता हो लेकिन यहां सत्ता का सूर्योदय पश्चिम से होता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में वेस्ट यूपी की 136 सीटों में से बीजेपी ने 102 सीटें जीती थीं। यहां पर लगभग 17 फीसदी वोट बैंक जाटों का है। किसान आंदोलन से बीजेपी का यह वोट बैंक बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अगर जाटलैंड पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी होगी तो इसका असर जाट वोटों पर जरूर होगा।


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