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बिहार विधानसभा भवन @ 100: ऐतिहासिक बिल्डिंग की 10 खास बातें जानें, गर्व से चौड़ा हो जाएगा सीना

पटना बिहार विधानसभा भवन अपना गौरवशाली शताब्दी वर्ष सेलिब्रेट कर रहा है। इस ऐतिहासिक पल को यादगार बनाने के लिए बिहार विधानसभा के स्पीकर वि...

पटना बिहार विधानसभा भवन अपना गौरवशाली शताब्दी वर्ष सेलिब्रेट कर रहा है। इस ऐतिहासिक पल को यादगार बनाने के लिए बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने विशेष तैयारियां कराई है। गुरुवार (21 अक्टूबर) को बिहार विधानसभा परिसर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। ऐसे वक्त में आज की युवा पीढ़ी में बिहार के लोकतांत्रिक मूल्यों के इस ऐतिहासिक धरोहर के बारे में जानने की उत्सुकता बनी हुई है। तो आइए बिहार विधानसभा भवन के बारे में 10 खास बातें जानते हैं।
  1. 7 फरवरी 1921 को पहली बार बिहार के विधानसभा भवन में बैठक हुई थी। तब से लेकर आज तक 17वीं विधानसभा का सफर गरिमामय रहा है। इस भवन ने सियासत के साथ कई सियासी बदलाव भी देखे। कई मुख्यमंत्रियों से लेकर कई विधानसभा अध्यक्षों का कार्यकाल भी देखा। अंग्रेजों के जमाने का यह भवन आजाद भारत में हमें लोकतंत्र के मंदिर होने का अहसास कराता है।
  2. 100 साल पहले तैयार हुए इस भवन में समय-समय पर बदलाव किए गए, लेकिन इसकी मूल संरचना को सहेजकर ही रखा गया है। बिहार विधानसभा का यह भवन मार्च 1920 में बनकर तैयार हुआ।
  3. बिहार विधानसभा के इस भवन में 7 फरवरी 1921 को पहली बैठक हुई, जिसे लॉर्ड सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा ने गवर्नर के तौर पर संबोधित किया था। उस वक्त इस भवन को बिहार उड़ीसा विधान परिषद के नाम से जाना जाता था। बिहार विधानसभा के इस भवन ने देश की आजादी से लेकर विभाजन की त्रासदी तक के पल देखे हैं। इस लंबे वक्त में इस भवन में कई ऐतिहासिक विधेयक पास हुए।
  4. भारत सरकार अधिनियम 1919 के आने के बाद बिहार और उड़ीसा को संपूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। संपूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद बिहार के पहले गर्वनर बने सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा।
  5. 1952 की पहली बिहार विधानसभा में 331 सदस्य बैठते थे। वर्तमान में बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं। 2000 में बिहार से झारखंड के अलग होने के चलते विधानसभा में सदस्यों की संख्या में कमी हुई है।
  6. बिहार विधानसभा का यह भवन इतालवी पुर्नजागरण शैली में बना है। इस भवन में समानुपाति संतुलन की सादगी है। लंबे-लंबे गोलाकार स्तंभ और अर्द्धवृताकार मेहराब इसकी खूबसूरती है। जो कभी प्राचानी रोमन शैली को दर्शाता है। बिहार विधानसभा के इस भवन में समरूपता का विशेष ध्यान रखा गया है।
  7. बिहार विधानसभा भवन में एक निश्चति अंतराल पर कट मार्क हैं जो इसे बेहद खूबसूरत बनाते हैं। विशेषज्ञ इसे इंडो सारसेनिक शैली का विस्तार मानते हैं। बिहार विधानसभा का सदन का कार्यवाही हॉल अर्द्धगोलाकार शक्ल में है। बिहार विधानसभा परिसर में तीन हॉल और कुल 12 कमरे हैं।
  8. बिहार विधानसभा भवन की डिजाइन वास्तुविद ए एम मिलवुड ने तैयार किया था। बिहार विधानसभा की आंतरिक संरचना 60 फीट लंबी और 50 फीट चौड़ी है। विधानसभा के अगले हिस्से की लंबाई 230 फीट है। इन सौ सालों में इस भवन का मूल ऐतिहासिक स्वरूप कुछ भी नहीं बदला है।
  9. 1935 के अधिनियम के बाद इस विधान मंडल के भवन को दो हिस्सों में बांटा गया। पहला विधानसभा और दूसरा विधान परिषद। बिहार भले 1912 में स्थापित हुआ परंतु 1920 में बिहार और उड़ीसा प्रांत को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद 07 फरवरी, 1921 को विधान सभा के नव निर्मित भवन में बैठक प्रारंभ हुई। पुरानी से नई विधायी व्यवस्था तक पहुंचने की बिहार की व्यवस्था लंबी है। बिहार हमेशा से सभ्यता और शक्ति का केन्द्र रहा है जिसने अपने समृद्ध राजनीतिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपरा से पूरे विश्व को आलोकित किया है। इस शताब्दी वर्ष के आयोजन से सकारात्मक वातावरण का निर्माण होगा।
  10. बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने इसी विधानसभा भवन के अपने संबोधन में गर्व से दुनिया को बताया था कि देश की विकास दर 3.03 फीसदी था, वहीं बिहार 3.09 फीसदी की दर से तरक्की कर रहा था। बिहार विधानसभा देश का पहला ऐसा सदन है जहां सबसे पहले भूमि सुधार विधेयक पास हुआ। इसी सदन ने संविधान में संशोधन कर जमींदारी प्रथा का उन्मुलन किया। आजादी के तुरंत बाद बिहार को सबसे सुशासित राज्य का दर्जा भी मिला।


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