वरिष्ठ संवाददाता, फरीदाबाद मैं एनआईटी की तमाम कॉलोनियों को नैशनल हाइवे से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क हूं, पर अपने जख्मों से परेशान हूं। मेर...
वरिष्ठ संवाददाता, फरीदाबाद मैं एनआईटी की तमाम कॉलोनियों को नैशनल हाइवे से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क हूं, पर अपने जख्मों से परेशान हूं। मेरा नाम है। मेरे शरीर पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। लोग अब मुझपर गुजरने में कतराते हैं। कोई भी इन गड्ढों में गिरने का जोखिम नहीं लेना चाहता। ऐसा नहीं है कि मेरा इलाज शुरू नहीं हुआ। वो तो 5 महीने पहले ही शुरू हो गया था जब आम लोगों ने मेरे लिए गुहार लगाई थी। आंदोलन किया था। 'मेरे इलाज का खर्चा 6 करोड़ रुपये' मेरी ऐसी दुर्दशा बीते 5 सालों से है। इलाज का खर्चा बताया गया 6 करोड़ रुपये। काम शुरू भी हुआ पर इतना धीमे कि 5 महीने बीत जाने के बाद भी केवल 30 फीसदी शरीर पर ही मरहम पट्टी की जा सकी है। आज भी 70 प्रतिशत काम बाकी है। ठेकेदार द्वारा काम में लापरवाही बरतने का खामियाजा एनआईटी विधानसभा के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। एनआईटी विधानसभा क्षेत्र को नैशनल हाइवे से जोड़ने वाली इस महत्वपूर्ण सड़क के एक साइड इतने गहरे गड्ढे हो चुके हैं कि लोगों को एनआईटी दो नंबर घूमकर नैशनल हाइवे जाना पड़ रहा है जिस कारण उन्हें ज्यादा ऑटो का किराया देना पड़ रहा है। 'ठेकेदार ने मजाक बनाकर रख दिया' लोग कहते हैं कि डेढ़ किलोमीटर सड़क बनाने में ज्यादा से ज्यादा 4 महीने का वक्त लगता है लेकिन ठेकेदार ने तो मजाक बना कर रख दिया है। इस सड़क का जवाहर कॉलोनी, सारन, पर्वतिया कॉलोनी, नंगला, डबुआ कॉलोनी, एनआईटी दो नंबर, जनता कॉलोनी, कपड़ा कॉलोनी, प्रेस कॉलोनी के लोग इस्तेमाल करते हैं। पिछले 5 सालों से रोड का काफी बुरा हाल था। हर रोज इस सड़क से 15 हजार वाहन गुजरते हैं, लेकिन सड़क को बनाने का काम नहीं हो रहा था। लोगों के आंदोलन से 6 महीने पहले शुरु हुआ था काम शहर की कई सामाजिक संस्थाओं ने आंदोलन किया जिसके बाद प्रशासन जागा और 6 करोड़ रुपये की लागत से रोड को बनाने का काम 23 अप्रैल को शुरू कर दिया गया। इस रोड को ठेकेदार को 6 महीने के अंदर बनाना था लेकिन इस वक्त ठेकेदार ने काम पूरी तरह से रोक दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार इस काम को करने में असमर्थ है जिसकी वजह से काम रोक दिया गया है। डेढ़ महीने पहले भी ठेकेदार ने काम रोक दिया था। कुल मिला कर इसका खामियाजा आम जनता को भुतना पड़ रहा है।
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