नई दिल्ली याद कीजिए 2019 के महाराष्ट्र चुनाव को... तब अचानक विधानसभा चुनाव में वीर सावरकर (Savarkar Controversy) एक बड़ा मुद्दा बन गए थे। ...
नई दिल्लीयाद कीजिए 2019 के महाराष्ट्र चुनाव को... तब अचानक विधानसभा चुनाव में वीर सावरकर (Savarkar Controversy) एक बड़ा मुद्दा बन गए थे। तब बीजेपी ने ये ऐलान कर कर दिया था कि महाराष्ट्र में सत्ता में आने पर वह वीर सावरकर () के नाम की सिफारिश देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए करेगी। इसके बाद कांग्रेस ने वीर सावरकर पर कई सवाल उठा दिए थे। तर्क यहां तक दिया गया कि कालापानी से वापस आने के लिए उन्होंने अंग्रेजो को माफीनामा लिखकर दिया था, इसलिए वह भारत रत्न के हकदार नहीं हैं। 2021 की अक्टूबर में भी फिर से वही कहानी दोहराई जा रही है। लेकिन उस वक्त इंदिरा गांधी की एक चिट्ठी () ने कांग्रेस को भी बैकफुट पर आने को मजबूर कर दिया था। जब आयरन लेडी ने की थी वीर सावरकर की तारीफ भले ही कांग्रेस ने उस वक्त यानि महाराष्ट्र चुनाव के दौरान 2019 में सावरकर का मुखर विरोध किया लेकिन यही कांग्रेस अतीत में उनके सम्मान में कसीदे भी पढ़ चुकी है। 2019 में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक ट्वीट किया जिसमें 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लिखी एक चिट्ठी थी। इस ट्वीट में जितेंद्र सिंह ने लिखा कि 'इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते वीर सावरकर की चिट्ठी में लिखकर तारीफ की थी'। इसी दौरान बीजेपी नेता अमित मालवीय ने दावा किया कि इंदिरा गांधी ने सावरकर के सम्मान में डाक टिकट जारी करने के अलावा अपने निजी खाते से सावरकर ट्रस्ट को 11 हजार रुपये दान किए थे। दावे के मुताबिक, इंदिरा गांधी ने फिल्म्स डिवीजन को ‘महान स्वतंत्रता सेनानी’ पर डॉक्युमेट्री बनाने का निर्देश दिया था और इसे उन्होंने खुद ही क्लीयर भी किया था। अब हंगामा क्यों है बरपा दरअसल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीर सावरकर को लेकर मंगलवार को जो दावा किया, उसी से नए सिरे से सियासी तूफान खड़ा हुआ। राजनाथ ने कहा कि सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेजों के सामने दया याचिका डाली थी। जिस कार्यक्रम में राजनाथ ने यह दावा किया, उसी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि एक सोची-समझी साजिश के तहत 'सावरकर को बदनाम करने की मुंहिम चलाई गई।' सिंह के दावे पर कांग्रेस, लेफ्ट समेत कई दलों ने केंद्र सरकार पर इतिहास को 'मनमुताबिक ढंग से लिखने' का आरोप मढ़ दिया। वीर सावरकर की किताब तथ्य यह है कि मूल रूप से मराठी में लिखी गई अपनी किताब ‘द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ में सावरकर ने 1857 की लड़ाई को भारत की आजादी की पहली लड़ाई करार दिया था। इस बात को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी माना और इसे देश की आजादी की पहली लड़ाई मानने की वकालत करते रहे। बाद में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से भी 1857 की लड़ाई को देश के स्वतंत्रता की पहली लड़ाई का दर्जा दिया।
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