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Bihar Assembly : मोकामा-लखीसराय-बड़हिया टाल पर जल संसाधन मंत्री को विधानसभा अध्यक्ष ने दिखाया आईना, कहा- पानी निकालने के लिए अब तक एक गेट नहीं बना

पटना बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) की ओर से पिछले कुछ वर्षों में पानी निकालने और लग...

पटनाबिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) की ओर से पिछले कुछ वर्षों में पानी निकालने और लगातार जलभराव को हल करने के लिए उठाए गए कदमों और कार्यों को देखने के लिए एक हाउस कमेटी गठित करने का आदेश दिया। खेती के लिहाज से मोकामा, बड़हिया और आसपास के अन्य टाल इलाकों की ये सबसे बड़ी समस्या है जिसका सीधा असर दाल की खेती पर पड़ता है। स्पीकर विजय सिन्हा भी खुद इसी इलाके के रहनेवाले हैं। मंत्री संजय झा को विधानसभा में ही स्पीकर ने दिखाया आईना बीजेपी विधायक अरुण कुमार सिन्हा की किसानों से संबंधित ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में, डब्ल्यूआरडी मंत्री संजय झा ने सदन को बताया कि बड़े 'टाल' क्षेत्र में 1.06 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल है। बाढ़ के पानी के अलावा, गंगा के बैकवाटर प्रभाव के कारण भी जलभराव हुआ। उन्होंने कहा कि इससे पहले ताल इलाके से पानी निकालने के लिए 185.50 करोड़ रुपये की कुछ परियोजनाएं हाथ में ली गई थीं, लेकिन यह नाकाफी साबित हुई। इस पर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने मंत्री को आईना दिखाते हुए कहा कि 'बाढ़ के पानी को टाल से निकालने के लिए कोई सुविधा नहीं है। इससे दाल की खेती भी प्रभावित हुई है।' स्पीकर ने कहा कि लखीसराय जिले के क्षेत्र से निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते, उन्हें पता था कि पिछले चार वर्षों में बाढ़ के पानी को बाहर निकालने के लिए एक स्लुइस गेट का काम पूरा नहीं हुआ है। सीएम की समीक्षा के बाद बड़ी परियोजनाएं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति की समीक्षा के बाद 1,178.50 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को हाथ में लिया गया है। पानी की निकासी की छह बड़ी परियोजनाओं में से पांच के संबंध में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और कार्यादेश भी जारी कर दिया गया है। छठी परियोजना के संबंध में निविदा प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। नई परियोजनाओं में बैराज, तटबंध, चेक-डैम, वियर, पुलिया और पानी जमा करने वाले 'पीन' की सफाई की परिकल्पना की गई है। अगले करीब दो साल में काम पूरा कर लिया जाएगा। धान खरीद का अपडेटखाद्य और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह ने सदन को सूचित किया कि बटाईदारों के लिए जमीन के भूखंडों के विवरण ('खाता' और 'खेसरा') की पहचान करना अनिवार्य नहीं था, जिस पर उन्होंने धान की खेती की थी। उन्होंने कहा कि किसानों (रैयतों और बटाईदारों) को संबंधित वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण करना था, और धान की खरीद इन पंजीकृत किसानों से ही की जानी है। उन्होंने कहा कि पैक्स और व्यापर मंडलों के माध्यम से सोमवार तक किसानों से 1.16 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार का समाप्त कर दिए गए मार्केटिंग बोर्ड को बहाल करने का कोई इरादा नहीं है।


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