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'आतंकी बिलाल ने डॉक्टर गुल को मारा...अल्ताफ को बनाया ह्यूमन शील्ड', हैदरपुरा मुठभेड़ की नई 'कहानी'

श्रीनगर हैदरपुरा एनकाउंटर वाकई में पुलिस मुठभेड़ थी या इसमें कुछ निर्दोष लोग भी मारे गए थे? श्रीनगर में डेढ़ महीने पहले हुई इस मुठभेड़ को...

श्रीनगर हैदरपुरा एनकाउंटर वाकई में पुलिस मुठभेड़ थी या इसमें कुछ निर्दोष लोग भी मारे गए थे? श्रीनगर में डेढ़ महीने पहले हुई इस मुठभेड़ को लेकर सवाल उठे थे। अब मामले की जांच कर रही एसआईटी ने सुरक्षा बलों को क्लीन चिट दे दी है। एसआईटी का कहना है कि फायरिंग में मारे गए कारोबारी अल्ताफ अहमद बट को पाकिस्तानी आतंकी ने ह्यूमन शील्ड के रूप में इस्तेमाल किया था। एसआईटी का दावा है कि एक नागरिक को मुठभेड़ के दौरान आतंकी ने मारा था। वहीं बिल्डिंग के मालिक (अल्ताफ अहमद बट) और स्थानीय आतंकी की क्रॉस फायरिंग में जान चली गई थी। 'अल्ताफ को बिलाल ने बनाया मानव कवच' मुठभेड़ की जांच कर रही एसआईटी के हेड डीआईजी सुजीत कुमार ने कहा, 'पाकिस्तानी आतंकी बिलाल भाई उर्फ हैदर ने अल्ताफ अहमद बट को मानव कवच के रूप में इस्तेमाल किया। एनकाउंटर में पाकिस्तानी आतंकी के अलावा अल्ताफ की भी मौत हो गई थी।' इस मुठभेड़ में अल्ताफ (48) के अलावा डॉक्टर मुदसिर गुल (43) और आमिर मागरे की भी गोली लगने से मौत हो गई थी। पुलिस का दावा था कि मारे गए लोग आतंकियों के लिए काम करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स थे। वहीं मृतकों के परिवार ने आरोप लगाया था कि सुरक्षाबलों ने इन लोगों को मानव शील्ड के रूप में इस्तेमाल किया। 'आतंकी बिलाल ने ही डॉक्टर गुल को मार डाला' इस मुठभेड़ के बाद पुलिस ने मुठभेड़ स्थल हैदरपुरा से करीब 70 किलोमीटर दूर हंदवाड़ा में परिवार वालों की गैर मौजूदगी में सभी के शव दफना दिए थे। हालांकि लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद अल्ताफ और गुल के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए थे। डीआईजी सुजीत कुमार का कहना है, 'पाकिस्तानी आतंकी बिलाल भाई ने घर के मालिक को ह्यूमन शील्ड बनाया। बिलाल ने ही डॉक्टर मुदसिर गुल को मार दिया था।' डीआईजी के मुताबिक सीसीटीवी से पता चलता है कि डॉक्टर गुल अपनी गाड़ी में आतंकी के साथ गए थे। इसके अलावा आतंकी अक्सर उनके दफ्तर में रुकता था। आमिर बिलाल का करीबी, भागते वक्त लगी गोली: SIT डीआईजी सुजीत कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि फायरिंग में मारे गए तीसरे शख्स आमिर के बारे में पता चला है कि वह लगातार बांदीपुरा जाता था। उन्होंने सवाल पूछा कि अगर किसी के परिवार ने 2008 में उस जगह (बांदीपुरा) को छोड़ दिया हो तो वहां बार-बार जाने का क्या मतलब है? एसआईटी ने बताया कि डॉक्टर गुल का कर्मचारी आमिर पाक आतंकी बिलाल भाई का करीबी था और मुठभेड़ स्थल से फरार होने के दौरान फायरिंग की चपेट में आकर आमिर की जान चली गई। एसआईटी का यह भी कहना है कि अल्ताफ बट का परिवार बिल्डिंग में रहने वाले किराएदारों के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। अल्ताफ की भतीजी साइमा बट का कहना है कि अल्ताफ ही पूरी प्रॉपर्टी की मालिक थे। ऐसे में रेंट डीड और भुगतान के तरीके के बारे में सिर्फ उन्हें ही पता था। पुलिस दोहरा रही पुरानी कहानी: पीएजीडी गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) ने हैदरपुरा मुठभेड़ पर पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर प्रतिक्रिया दी है। पीजीएडी का कहना है कि पुलिस का दावा पुरानी कहानी की पुनरावृत्ति है। पीजीएडी ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। उसके मुताबिक लोगों की एक मजबूत धारणा है कि घटना में मारे गए नागरिकों को आतंकियों ने नहीं बल्कि सुरक्षा बलों ने मानव ढाल बनाया था। पीएजीडी के प्रवक्ता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने एक बयान में कहा, 'पिछले महीने हैदरपुरा की दुखद घटना के बारे में जम्मू-कश्मीर पुलिस की आज की प्रेस वार्ता पुरानी कहानी की पुनरावृत्ति है। यह चौंकाने वाली इस घटना की कोई सही तस्वीर भी पेश नहीं करती है।' पीएजीडी की मांग, मुठभेड़ की हो न्यायिक जांच उन्होंने कहा कि बयान एक मनगढ़ंत कहानी प्रतीत होता है। उन्होंने कहा, 'पीएजीडी का दृढ़ विश्वास है कि एक विश्वसनीय न्यायिक जांच से ही कुछ संदेह दूर होंगे। प्रशासन को बिना किसी देरी के समयबद्ध न्यायिक जांच का आदेश देना चाहिए।' पीएजीडी कश्मीर में मुख्यधारा के पांच राजनीतिक दलों का एक समूह है। 15 नवंबर को मुठभेड़ के बाद उठे थे सवाल डीआईजी सुजीत के सिंह की अध्यक्षता में पुलिस के विशेष जांच दल ने हैदरपुरा एनकाउंटर में सुरक्षा बलों की ओर से किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया था। बताते चलें कि 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपुरा में मुठभेड़ के दौरान दो आतंकी (एक पाकिस्तानी, एक स्थानीय) और दो अन्य व्यक्ति मारे गए थे। पुलिस ने दावा किया था कि सभी मारे गए लोगों के आतंकवाद से संबंध थे। हालांकि तीनों के परिवारों ने दावा किया था कि वे निर्दोष थे और उन्होंने कथित तौर पर किसी साजिश की आशंका जाहिर की थी। 17 नवंबर को उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मुठभेड़ की जांच का आदेश दिया था।


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