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UP चुनाव में काशी विश्वनाथ गलियारे के क्या हैं सियासी मायने...जानिए कैसी है भाजपा की तैयारी?

वाराणसी वाराणसी के हृदय में स्थित महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ गलियारे को सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को समर्पित करेंगे। इस ...

वाराणसी वाराणसी के हृदय में स्थित महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ गलियारे को सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को समर्पित करेंगे। इस विशाल परियोजना से वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। प्रतिष्ठित दशाश्वमेध घाट के पास ऐतिहासिक काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के अत्याधुनिक ढांचे का उद्घाटन यूपी चुनाव से पहले होने जा रहा है। इसे एक सियासी प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है। उद्घाटन के साथ ही पीएम मोदी विकास के साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अपने एजेंडे का भी साफ संदेश देंगे। इस कार्यक्रम को अभूतपूर्व बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने युद्ध स्तर पर तैयारियां की हैं। यह भाजपा के चुनावी अभियान का एक अहम हिस्सा है। चुनाव में भाजपा इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी। लोकार्पण समारोह को आम जनता को दिखाने के लिए प्रदेश के सभी गांवों और 27 हजार से ज्यादा शिवालयों और प्रमुख मठ, मंदिरों में विशाल स्क्रीन लगाई जाएंगी। भाजपा इस मौके पर साधु-संतों तथा धर्माचार्यों को सम्मानित भी करेगी। प्रदेश के सभी गांवों में इस कार्यक्रम के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की जाएगी जिसमें गांव के लोगों के साथ पार्टी कार्यकर्ता भी भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में दिव्य काशी-भव्य काशी' पर साहित्य भी दिया जाएगा। डबल इंजन की सरकार देगी ये राजनीतिक संदेश बीते कुछ दिनों के भीतर पीएम मोदी और सीएम योगी ने यूपी की जनता को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड डिफेंस कॉरिडोर के साथ-साथ जेवर एयरपोर्ट की सौगात दी है। दोनों नेताओं का संदेश बेहद साफ है कि विकास के मुद्दे पर डबल इंजन की उनकी सरकार बेहद संजीदा है। दूसरी ओर, विंध्याचल कॉरिडोर, राम मंदिर के बाद अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर एक दूसरा राजनीतिक संदेश भी दिया जा रहा है कि उनकी सरकार अपनी धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित और संरक्षित करने में भी पीछे नहीं है। कॉरिडोर लोकार्पण के साथ ही पीएम मोदी मंदिर चौक पर ही बने मंच से भक्तों से सीधा संवाद करेंगे। देव दीपावली जैसा रहेगा नजारा, 5 लाख घरों में पहुंचेगा प्रसाद बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में कॉरिडोर के लोकार्पण के मौके पर देव दीपावली जैसा नजारा होगा। काशी की हर गली, चौराहे को सजाया जाएगा। लेजर शो, आतिशबाजी होगी। नावें भी रोशनी से जगमगाएंगी। जिले के 5 लाख घरों तक शिव का प्रसाद और 'दिव्य काशी, भव्य काशी' पुस्तिका भी पहुंचेगी। इसमें मोदी-योगी की अगुआई में काशी में हुए बदलावों, योजनाओं, कार्यक्रमों का जिक्र होगा। 13 और 14 दिसंबर को पीएम के साथ ही भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी काशी में ही मौजूद रहेगा। 17 दिसंबर को काशी में महापौर सम्मेलन और 23 दिसंबर को प्राकृतिक खेती पर सम्मेलन होगा। किसान मोर्चा प्रदेश के 1918 संगठनात्मक मंडलों में इसके प्रसारण की भी व्यवस्था करेगा। योगी का मंत्री हो या आम कार्यकर्ता, हर कोई जुटा है तैयारी में भाजपा में संगठन के लिहाज से प्रदेश में 27,700 सेक्टर बनाए हैं। इन्हें शक्तिकेंद्र का नाम दिया गया है। सभी केंद्रों में स्थिति शिवालयों, मंदिरों, मठों में विश्वनाथ कॉरिडोर के कार्यक्रम के लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की जाएगी। जनता के साथ ही साधु, संतों, धर्माचार्यों को खासतौर पर जोड़ा जाएगा। मंत्री, विधायक व अन्य भाजपा पदाधिकारी भी अपने-अपने क्षेत्रों में धर्मस्थलों पर मौजूद रहेंगे। वहीं, उद्‌घाटन के एक दिन पहले से तीन दिनों तक पूरे प्रदेश में दीपोत्सव मनाया जाएगा। क्‍या-क्‍या खास
  • 13 से 15 दिसंबर तक भाजपा शासित सीएम, डिप्टी सीएम धार्मिक प्रवास पर रहेंगे
  • 12 से 14 तक पूरे प्रदेश में घरों, मंदिरों में जलेंगे दीप
  • 5 लाख परिवारों तक पहुंचेगा शिव का प्रसाद, 'दिव्य काशी-भव्य काशी' पुस्तिका बंटेगी
  • 17 को काशी में होगा महापौर सम्मेलन
  • 23 को काशी में प्राकृतिक खेती पर कार्यक्रम
315 भवन, 700 परिवार विस्थापित, खर्च हुए 600 करोड़ गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान अधिग्रहण सबसे ज्यादा जटिल प्रक्रिया थी। 700 से ज्यादा छोटे-बड़े दुकानदार, परिवार जो कई पीढ़ियों से इस मंदिर के आसपास संकरी गलियों में बसे थे, जिओ टैगिंग कर इन सभी लोगों की संपत्ति का पूरा विवरण जुटाया गया। समय बचाने के लिए धाम के डिजाइन के अनुसार चिन्हित 55 हजार वर्गमीटर में रहने वाले 315 भवन स्वामियों से संपर्क किया गया। उस समय काशी विश्वनाथ मन्दिर के सीईओ विशाल सिंह ने बड़ी भूमिका निभाई। हर एक भवन स्वामी से एक-एक कर के सम्पर्क किया गया। उनके माध्यम से किरायेदारों को भी विश्वास में लिया गया। बाद में सहमति के बाद उन्हें उचित मुआवजा दिया गया। सबकी सहमति मिलने के बाद भवन को तोड़ना एक कठिन प्रक्रिया थी। दिन में घरों को गिरना उसके बाद पूरी रात मलबे को साफ करना जिस से की काशी के लोगों का जीवन प्रभावित न हो। मुआवजे से लेकर निर्माण तक कि पूरी प्रक्रिया में करीब 600 करोड़ की लागत आई।


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