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मिर्चपुर कांड: 21 अप्रैल 2010 की वो खौफनाक रात, जब दलितों की बस्ती में लगा दी गई थी आग

हिसार हरियाणा के मिर्चपुर कांड में 21 आरोपियों के लिए उम्रकैद की मांग करते हुए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल ...

हिसार हरियाणा के मिर्चपुर कांड में 21 आरोपियों के लिए उम्रकैद की मांग करते हुए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल 4 साल पहले इन आरोपियों को मामूली जेल सजा के साथ छोड़ दिया गया था। शुक्रवार को जस्टिस एएम खानविल्कर और सीटी रविकुमार की बेंच ने विशेष अनुमति याचिका स्वीकार की जहां सरकार ने मिर्चपुर केस को अनुसूचित जाति के खिलाफ तथाकथित प्रभावशाली समुदाय की ओर से किए अब तक का सबसे बुरा अत्याचार बताया। इसी के साथ एक बार फिर लोगों को उस खौफनाक रात की याद आ गई जब हरियाणा के हिसार जिले स्थित मिर्चपुर गांव में मामूली बात पर दिल दहला देने वाली घटना हुई थी। हरियाणा के हिसार जिले स्थित मिर्चपुर गांव में अप्रैल 2010 को जाट समुदाय के लोगों ने कई घरों को आग लगा दी थी। भीड़ ने 70 साल के बुजुर्ग और उसकी दिव्यांग बेटी को भी जिंदा जला दिया था। इस गांव में अधिकतर वाल्मीकि समाज के लोगों के घर थे। घटना के बाद दलितों ने गांव से पलायन कर दिया था। पालतू कुत्ते के भौंकने पर शुरू हुआ था विवाद दरअसल दलित बस्ती से गुजर रहे एक दबंग समुदाय के परिवार के दामाद पर कुत्ते ने भौंक दिया था। इस बात पर झगडा इतना बढ़ा कि दबंगों ने दलित बस्ती में आग लगा दी। इसमें 70 साल के बुजुर्ग ताराचंद और उनकी दिव्यांग बेटी सुमन जिंदा चल गए। करीब 52 अन्य झुलस गए। वह 19 अप्रैल 2010 का दिन था। कहा जाता है कि जाट परिवार का दामाद और कुछ लोग गांव की वाल्मीकि बस्ती से गुजर रहे थे। इसी दौरान वाल्मीकि बस्ती में योगेश चौहान के पालतू कुत्ते ने उन पर भौंक दिया। इस पर थोड़ी देर बाद गांव की दबंगों की बस्ती से कुछ लोग वहां पहुंचे और दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई और मारपीट की नौबत आ गई। 21 अप्रैल की रात दबंगों ने बस्ती में लगाई आग 20 अप्रैल को शांति रही लेकिन 21 अप्रैल को फिर विवाद भड़का। 21 अप्रैल की रात दबंगों ने दलित बस्ती पर धावा बोल दिया और वहां जो मिला उसी पर हमला कर दिया। उपद्रवियों ने बस्ती के घरों में आग लगा दी। इससे एक घर में रह रहे 70 साल के बुजुर्ग ताराचंद और उनकी दिव्यांग बेटी सुमन जिंदा जल गए। दलित बस्ती के 25 घर जल गए दलित बस्ती के करीब 25 घर जल गए थे। हमले और आगजनी में 52 लोग घायल हो गए थे। घटना के बाद हरियाणा में हड़कंप मच गया और जातीय व राजनीतिक विवाद का रूप ले लिया। मिर्चपुर गांव और आसपास के क्षेत्र को छावनी में बदल दिया गया। गांव में सीआरपीएफ की टुकड़ियां तैनात कर दी गईं। हालांकि असुरक्षा की भावनाओं के चलते जनवरी 2011 तक 130 से अधिक दलित परिवारों ने गांव से पलायन कर दिया।


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