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ऑनलाइन गेम की ये कैसी लत! पैसे चुराकर घर से भाग गए बच्‍चे, डर के मारे पार्क में बिताई पूरी रात

गाजियाबाद गाजियाबाद के शालीमार गार्डन एक्सटेंशन वन में रहने वाले 2 बच्चों को ऑनलाइन गेम खेलने की ऐसी लत पड़ी कि उन्होंने इसके चक्कर में घ...

गाजियाबाद गाजियाबाद के शालीमार गार्डन एक्सटेंशन वन में रहने वाले 2 बच्चों को ऑनलाइन गेम खेलने की ऐसी लत पड़ी कि उन्होंने इसके चक्कर में घर भी छोड़ दिया। यही नहीं किसी को बिना बताए घर से 30 हजार रुपये ले गए। उनके एक मोबाइल व आईपैड जैसी चीज खरीदी। इसके बाद ऑनलाइन गेम में सारे पैसे खर्च कर डाले। लेकिन परिवार, एनजीओ और पुलिस ने मिलकर उन बच्चों को 16 घंटे में एक पार्क से ढूंढ निकाला। पुलिस की छानबीन व दोस्तों से पूछताछ के बाद बच्चों का सुराग मिल गया। सारे रुपये खर्च हो जाने के बाद उन्होंने पार्क में ही रात गुजारी। पुलिस को जब वे दोनों मिले तो बड़े सहमे हुए थे। वहीं, परिजनों ने दोनों बच्चों के मिलने पर खुशी जताई है। 3 बजे हुए लापता शालीमार गार्डन एक्सटेंशन में सपेंद्र कुमार परिवार संग रहते हैं। वह एक प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने बताया कि गुरुवार दोपहर करीब 3 बजे उनका 12 साल का बेटा व 9 साल का मौसेरे भाई घर के बाहर खेल रहे थे। जब उनकी पत्नी बच्चों को बुलाने गईं तो दोनों घर के सामने नहीं थे। उन्होंने बच्चों को आसपास तलाश किया, लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चल सका। बच्चों के नहीं मिलने पर परिजन परेशान हो गए। देर रात करीब 10 बजे पीड़ित परिजन ने साहिबाबाद थाने पहुंचकर पुलिस से शिकायत की। बच्चों की तलाश में जुटी सांझा प्रयास सामाजिक संस्था के युगल किशोर ने बताया कि पुलिस की तत्परता से बच्चे मिले सके। 30 हजार में से 700 रुपये ही बचे बच्चों के परिजनों ने बताया कि दोनों बच्चे घर में रखे करीब 30 हजार रुपये बिना बिताए ले गए। दोनों ने एक मोबाइल व गेम्स खेलने के लिए एक आईपैड टाइप आइटम खरीदा। उसके बाद दोनों ने एक पार्क में रात गुजार दी। वापस लौटे तो दोनों के पास महज 700 रुपये ही मिले। परिजन के सख्ती से पूछने पर ही दोनों ने उस दुकान का पता बताया, जहां से ये गैजेट खरीदे थे। हालांकि परिजन इस बात का भी पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर बच्चों को गैजेट्स किसने खरीदवाए थे। ऐसे फंसते गए गेम के जाल में पुलिस ने बताया कि ये बच्चे किसी घरवाले या दोस्त के मोबाइल पर एक ऑनलाइन गेम खेलते थे। फायरिंग करने वाले खिलाड़ी को गोली खरीदने व गेम में ही अन्य बेहतर सुविधाएं पाने की जरूरत पड़ती थी, जिसके लिए कुछ पेमेंट करनी होती थी। इसी के चक्कर में इन्होंने अपना मोबाइल खरीदने का प्लान बनाया।


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