प्रियंका गांधी () ने यूपी में अपनी पूरी ताकत झोंक तो दी, पर अब यह तय हो चुका है कि कांग्रेस वहां मुख्य लड़ाई से बाहर है। राज्य की मुख्य लड...

प्रियंका गांधी () ने यूपी में अपनी पूरी ताकत झोंक तो दी, पर अब यह तय हो चुका है कि कांग्रेस वहां मुख्य लड़ाई से बाहर है। राज्य की मुख्य लड़ाई बीजेपी-एसपी के बीच ही है। चर्चा यह हो रही है कि यूपी के चुनावी नतीजे आने के बाद प्रियंका गांधी किस भूमिका में होंगी? क्या वह यूपी की प्रभारी बनी रहेंगी या उन्हें किसी दूसरे राज्य का प्रभारी बनाया जा सकता है? पार्टी के अंदर एक राय यह बन रही है कि प्रियंका गांधी को मध्यप्रदेश () का प्रभारी बना देना चाहिए। मध्य प्रदेश में अगले साल चुनाव होने हैं और वहां पर कांग्रेस यूपी से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में है। मध्य प्रदेश में चुनावी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होती है। 2018 में कांग्रेस ने चुनाव जीता भी था, यह अलग बात है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बागी हो जाने के बाद कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ गई। प्रियंका को मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने की पैरवी करने वालों के दो तर्क हैं। एक तो यह कि प्रियंका गांधी ने यूपी में जितनी मेहनत की, अगर उसकी आधी भी उन्होंने मध्य प्रदेश में कर दी तो नतीजे उम्मीद से बेहतर हो सकते हैं। दूसरा यह कि यूपी के जरिए प्रियंका गांधी पर हार का जो धब्बा लगेगा, उसे मध्य प्रदेश की जीत से हटाया जा सकता है। यूपी का प्रभारी कौन हो, इसके लिए पार्टी को नए सिरे से सोचना होगा। 2024 के लिए पार्टी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही जुट जाना चाहती है। वैसे चुनाव बाद प्रियंका गांधी किस भूमिका में रहना चाहेंगी, यह उन्हीं को तय करना है। गौरतलब है कि प्रियंका गांधी की भूमिका लेकर एमपी के भी कई नेता पैरोकार रहे हैं। यूपी में चुनावी अभियान शुरू करने से पहले भी प्रियंका गांधी एमपी आई थीं। दतिया में मां पीतांबरा से आशीर्वाद लेकर उन्होंने अभियान शुरू किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रियंका गांधी ने एमपी में कई रोड शो किए थे।
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