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...जब विधानसभा में सप्लीमेंट्री बजट पास कराना भूल गई शिवराज सरकार, खर्चे जुटाने के लिए कांग्रेस से करनी पड़ी डील

भोपालः बुधवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में बजट पेश हो रहा है। बजट सत्र के तीसरे दिन वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा सदन में बजट पेश करेंगे। बजट ...

भोपालः बुधवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में बजट पेश हो रहा है। बजट सत्र के तीसरे दिन वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा सदन में बजट पेश करेंगे। बजट सरकार का फाइनेंशियल स्टेटमेंट तो है ही, सरकारी खर्च और आमदनी के प्रावधान भी इसमें होते हैं। समय रहते बजट पास नहीं किया जाए तो सरकार के पास अपने खर्च के लिए भी पैसे नहीं होंगे। शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते एक बार पहले ऐसा हो चुका है, जब सरकार विधानसभा में सप्लीमेंट्री बजट पास कराना ही भूल गई। इस गलती के चलते उसे एक दिन का सत्र फिर से बुलाना पड़ा और इसके लिए कांग्रेस के साथ डील करनी पड़ी। तब सरकार ही चाहती थी छोटे सत्र यह 2014-15 का दौर था जब राज्य में व्यापम घोटाले का शोर था। विधानसभा की बैठकों में कांग्रेस घोटाले को लेकर खूब हल्ला-हंगामा करती थी। सरकार की कोशिश यह होती थी कि विधायी कार्य जल्दी-जल्दी निबटा लिए जाएं और सत्र जल्दी खत्म हो जाए। साल 2015 में बजट सत्र () को सरकार ने आनन-फानन में समय से पहले खत्म कर दिया। बाद में ध्यान आया कि दूसरा सप्लीमेंट्री बजट पास कराना बाकी रह गया। तब जयंत मलैया प्रदेश के वित्त मंत्री थे। कांग्रेस ने उठाया गलती का फायदा सप्लीमेंट्री बजट पास कराना जरूरी था, नहीं तो सरकार के खर्चे रुक जाते। इसलिए 25 मार्च को एक दिन का सत्र बुलाने का फैसला किया गया, लेकिन इसके लिए कांग्रेस की सहमति जरूरी थी। कांग्रेस को यह संदेश भेजा गया तो पार्टी ने सरकार की गलती का फायदा उठाने की रणनीति बनाई। कांग्रेस ने शर्त रख दी कि यदि सरकार ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों के मुद्दे पर बहस को राजी हो तो वह एक दिन के सत्र के लिए सहमति दे देगी। कोई उपाय नहीं देख सरकार को बहस के लिए तैयार होना पड़ा। समय से पहले खत्म हुआ था सत्र 2015 के बजट सत्र में सरकार कांग्रेस के हो-हंगामे से परेशान थी। व्यापम का मुद्दा था ही, कांग्रेस नेता सत्यदेव कटारे ने अगले सत्र में शिवराज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी थी। कटारे उस समय नेता प्रतिपक्ष भी थे। वे सरकार पर लगातार हमले कर रहे थे। इसी बीच बाद उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू में एक मामला दर्ज हुआ था। आरोप था कि कटारे के पेट्रोल पंप के लिए जमीन बिना टेंडर के ही उन्हें दिया गया था। कटारे को भोपाल में आईएसबीटी के पास पेट्रोल पंप के लिए बीडीए ने जमीन दी थी। आश्चर्य तो यह कि साल 2006 में जब कटारे को जमीन दी गई थी, तब प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार थी।


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