Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

उत्तराखंड में नतीजों से पहले बेचैन दिख रहे बीजेपी प्रत्याशी, आखिर क्या पक रही है खिचड़ी?

देहरादून : उत्तराखंड में चुनावी नतीजे (Uttarakhand Assembly Election Result 2022) आने से पहले ही बीजेपी (Uttarakhand BJP) के अंदर एक खास ...

देहरादून : उत्तराखंड में चुनावी नतीजे (Uttarakhand Assembly Election Result 2022) आने से पहले ही बीजेपी (Uttarakhand BJP) के अंदर एक खास तरह की बेचैनी दिखने लगी है। एक-एक कर अब तक आधा दर्जन उम्मीदवार भीतरघात का आरोप लगा चुके हैं। ऐसा भी नहीं कि ये सब ढका छुपा हो, बल्कि सावर्जनिक तौर यह सारी बातें हो रहीं हैं। हरिद्वार जिले के लक्सर क्षेत्र के विधायक और पार्टी प्रत्याशी संदीप गुप्ता ने तो बाकायदा एक वीडियो शेयर करते हुए सबसे पहले पार्टी को असहज किया। भीतरघात के उनके आरोप के गहरे निहितार्थ इसलिए निकाले गए कि पार्टी के राज्य अध्यक्ष मदन कौशिक हरिद्वार जिले के ही हैं। उधर, संदीप गुप्ता को सीएम धामी का करीबी माना जाता है। इसके बाद चंपावत के कैलाश गहतोडी, काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा जो अपने स्थान पर इस बार अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा को चुनाव लड़ा रहे थे, यमुनोत्री सीट से बीजेपी प्रत्याशी केदार सिंह रावत, देहरादून छावनी सीट से बीजेपी प्रत्याशी सविता कपूर भी अपने साथ भीतरघात होने की बात कहते दिखे। किच्छा से बीजेपी विधायक और प्रत्याशी राजेश शुक्ल भी भीतरघात की आशंका जताने लगे हैं। आलाकमान की कोशिश इस तरह के बयानों को रोकने की है। लेकिन इस पर कोई अंकुश नहीं लग पाया क्योंकि संदीप गुप्ता जब वीडियो शेयर कर प्रदेश अध्यक्ष को कठघरे में खड़ा किया था तभी आलाकमान ने सीएम धामी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को दिल्ली तलब करके ऐसे बयानों पर लगाम लगाने की बात कही थी।

लेकिन इसके बावजूद बयान आने बंद नहीं हुए। 2009 में हरिद्वार सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके ने तो बाकायदा हाई कमान को पत्र लिखकर कह दिया था कि चुनावों में कुप्रबंधन के कारण हो सकता है कि नतीजे पार्टी की उम्मीदों के खिलाफ जाएं। सूत्रों के अनुसार, हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ रहे कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद भी पार्टी प्लैटफॉर्म पर भीतरघात होने की शिकायत दर्ज करा चुके हैं, हालांकि ऑन रिकॉर्ड वह इस बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। पेशबंदी की कवायद राजनीतिक गलियारों में बीजेपी के अंदर की इस बेचैनी के दूरगामी संकेत माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि मतदान के बाद उम्मीदवारों को ग्राउंड लेवल से जो रिपोर्ट मिल रही है, उससे पता चलता है कि बीजेपी के पक्ष में कोई लहर नहीं दिखी। बीजेपी के हक में जो एकमात्र बात जाती दिख रही है, वह यह है कि जो थोड़ी बहुत भी लहर देखी गई, वह मोदी के नाम की ही थी। 2017 के चुनाव में जब मोदी के नाम की आंधी दिखाई पड़ रही थी तो भी बीजेपी ने तीस ऐसी सीट जीती थीं जिनका अंतर पांच हजार से कम ही था। 11 सीटें तो ऐसी थी जहां जीत का अंतर मात्र एक हजार से पांच सौ के बीच ही रहा। इस बार राज्य में 2017 जैसी मोदी लहर दिखाई नहीं देने के साथ-साथ महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों ने भी चुनाव को हर दर्जे तक प्रभावित किया है। कॉमन सिविल कोड, मुस्लिम विश्वविद्यालय मुद्दों के जरिए धार्मिक आधार पर गोलबंदी की जो उम्मीद देखी जा रही थी, वह भी नहीं हुई। कहा जा रहा है कि मतदान के बाद ग्राउंड लेवल से मिल रही रिपोर्ट ने बीजेपी प्रत्याशियों को बेचैन कर दिया है और वे भीतरघात की बात कहने लगे हैं। बीजेपी के बड़े नेताओं में भी मुलाकातों का दौर चल रहा है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के यहां पहले सीएम धामी पहुंचे और उसके बाद मदन कौशिक ने भी रावत के यहां पहुंचकर मुलाकात की। इससे पूर्व धामी और कौशिक दोनों पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के यहां भी पहुंचे। इन मुलाकातों के भी निहितार्थ खोजे जा रहे हैं। निशंक को जेपी नड्डा ने दिल्ली तलब किया तो सीएम धामी ने भी दिल्ली में जाकर नड्डा से मुलाकात करने की कोशिश की। जब कामयाब नहीं हुए तो बनारस जाकर जेपी नड्डा से मुलाकात की। इसके भी सियासी निहितार्थ अपनी-अपनी तरह से लगाए जाने लगे हैं।


from Local News, लोकल न्यूज, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, state news in hindi, राज्य समाचार , Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/bdqoD4g
https://ift.tt/9soy2dH

No comments