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झारखंड में यूक्रेन जैसा दृश्य! टंडवा NTPC में बवाल, आक्रोशितों ने फूंकी 60 गाड़ियां, 200 के खिलाफ FIR

रांची / चतरा : झारखंड में चतरा जिले के टंडवा में संचालित एनटीपीसी ( Tandwa NTPC ) परियोजना क्षेत्र में रैयतों-ग्रामीणों और पुलिस के बीच ह...

रांची / चतरा : झारखंड में चतरा जिले के टंडवा में संचालित एनटीपीसी ( Tandwa NTPC ) परियोजना क्षेत्र में रैयतों-ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई। इस दौरान उग्र भीड़ ने दर्जनों वाहन को आग के हवाले कर दिया। वहीं आगजनी की घटना के बाद चतरा जिला प्रशासन पूरी तरह से एक्शन के मूड में आ चुका है। एनटीपीसी परियोजना कार्यालय पर हमला कर लूटपाट, आगजनी और वाहनों को फूंकने के मामले में करीब 200 से अधिक भू-रैयतों व ग्रामीणों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने अभियान तेज कर दिया है। मामले में दो नामजद आरोपियों को पुलिस ने हिरसत में भी ले लिया है, जिनसे टंडवा थाना में पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों में एक NTPC कर्मी गिरफ्तार आरोपियों में से एक एनटीपीसी ( ) का ही कर्मी है। जिसने भीड़ के आड़ में परियोजना कार्यालय में तोड़फोड़ आगजनी समेत 3 दर्जन से अधिक गाड़ियों को आग के हवाले करने में भीड़ के साथ अपनी भूमिका अदा की थी। पुलिस ने एनटीपीसी अधिकारियों के लिखित शिकायत और वीडियो फुटेज के आधार पर रैयतों और ग्रामीणों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की है। वहीं अन्य फरार आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर छापामारी अभियान तेज कर दिया गया है। इधर, परियोजना परिसर कार्यालय में कल हुए हमले के मामले में एनटीपीसी ( ) जीजीएम तजेंद्र गुप्ता ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि रैयतों और ग्रामीणों ने आंदोलन (Tandwa NTPC Land Dispute) के आड़ में परियोजना व सुरक्षाकर्मियों पर बम से हमला किया था। इसके अलावे दहशत फैलाने के उद्देश्य से पिस्टल भी जमकर लहराया था। एनटीपीसी को करोड़ों रुपये का नुकसान जीजीएम ने कहा है कि परियोजना कार्यालय पर हमला कर रैयतों ने कार्यालय में लगे करीब दो दर्जन से अधिक कम्प्यूटर व लैपटॉप समेत अन्य उपकरणों को लूट लिया है। वहीं कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी करने के बाद परियोजना परिसर में खड़ी तीन दर्जन से अधिक ट्रक, हाईवा व बाइक समेत अन्य गाड़ियों को भी फूंक दिया है। जिससे एनटीपीसी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। जीजीएम ने बताया कि 3 सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन की बात करने वाले भू-रैयतों की मांगें गलत है। 15 वर्ष पूर्व अधिग्रहित भूमि का मुआवजा अभी के दर से मांगा जा रहा है। जबकि सरकारी नियमों और जिला प्रशासन के निर्देश के अनुरूप उन्हें अधिग्रहण अवधि में ही सारी राशि का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने कहा है कि इस पूरे मामले में आंदोलित रैयतों को सरकार के द्वारा स्पष्ट रूप से मुआवजा संबंधित जानकारी दे दी गई है। उसके बावजूद वे लोग बेवजह आंदोलन की आड़ में गुंडागर्दी कर रहे हैं। एसपी कर रहे कैंप इधर, घटना के बाद से लगातार टंडवा में हर छोटी बड़ी गतिविधि पर पैनी नजर रख रहे एसपी ने कहा है कि आंदोलन का अधिकार सभी को है। लेकिन आंदोलन के आड़ में गुंडागर्दी कर सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने की इजाजत किसी को नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा है कि घटना को अंजाम देने वाले सभी आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस सघन छापामारी अभियान चला रही है। एनटीपीसी विस्थापितों का मामला सदन में गूंजा इधर, झारखंड विधानसभा में मंगलवार को बजट सत्र के सातवें दिन एनटीपीसी विस्थापितों का मामला गूंजा। कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने प्रश्नकाल के दौरान इस मामले को उठाया। बाद में शून्यकाल के दौरान भी विधायक अंबा प्रसाद, बंधु तिर्की, सुदेश महतो और सीपी सिंह ने इस मामले पर आवाज उठाई। इन विधायकों ने कहा कि धरना-प्रदर्शन कर रहे एनटीपीसी विस्थापितों पर प्रशासन के द्वारा लाठीचार्ज और गोली चलाई जा रही है। जो कि बेहद दुखद है। इस पर सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिलने के कारण ये विधायक हंगामा करते रहे। जिसके बाद सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 24 घंटे के भीतर इस मामले की जांच कर समुचित कार्रवाई की जाएगी। आजसू पार्टी विधायक सुदेश महतो ने कहा कि वे दो दिन पहले में टंडवा गया था। वहां विस्थापित लोग एक साल से धरना दे रहे हैं। जल, जंगल और जमीन वालों की सरकार में उनपर लाठीचार्ज और गोली चलाने की सूचना समझ से परे है. यह ठीक बात नहीं है।


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